गुरुदेव श्री वेणी चंद जी मारासा का जन्म संवत १८९६ में चेत्र
सुक्हला त्रयोदशी महावीर जयंती के दिन तेजस्वी तपरूप सूर्य
ने जन्म लिया।
जिनके जन्म से दशो दिशाए प्रकाशित हो उठी.बचपन से ही
धार्मिक संस्कारो से ओर्त्प्रोत गुरुदेव तपस्या में लगे रहे
गुरुदेव का १३ बोल का उग्र अभिग्रह
१ पत्नी के केश खुले हो
२ पति के कान पर कलम राखी हो
३ हाथ में कागज़ हो
५ घर पर खीर का भोजन बना हो
६ गोद में बचचाhओ
७ पत्नी के केसरिया वस्त्र हो
८ कांसी के कटोरे में खीर परोसी हो
९ बालक खीर खाने का आग्रह कर रहे हो
१० पति कहे छाछ नही खीर बहरो
११ दोनों की आँखों में आंसू की धर हो
१२ दोनों रात्रि भोजन का त्याग करे
१३ आजीवन दोनों सजोरे ब्रम्च्र्य वार्ता का पालन करे
Monday, June 30, 2008
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jay guru veni jay guruni yash
MANGAL KARNI JAY YASH GURUNI
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